नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 25 मई 2018

मंत्री को जुकाम- गिरीश पंकज

 "नेता ने ठहाका लगाया, " बस इत्ती सी बात ! अभी वापस लेते हैं अपील। पागल हैं हमारे कार्यकर्ता। अरे, हमारी जो करतूतें हैं, वह सिर्फ हमारे लिए हैं। हम चाहते हैं कि हमारे कार्यकर्ता मौलिक करतूतें विकसित करें। अब जैसा हमने देश को बताया कि तंदूर जो है वो सिर्फ रोटी बनाने के काम में नहीं आता, उसमें औरत की बोटी-बोटी काट कर भी डाला जा सकता है। हत्या के क्षेत्र में यह अभिनव प्रयोग है। नयी पीढ़ी इसी तरह का कुछ नया करे। हमारे आदर्शों पर न चलकर वह खुद अपने आदर्श गढ़े।" (मंत्री को जुकाम- गिरीश पंकज)




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