"ईश्वर के होने, नहीं होने का जितना झगड़ा इस धरती पर होता आया है, उतना किसी और चीज के लिए नहीं हुआ। प्रेम के लिए भी नहीं। जबकि, जो चीज इंसान को सौ में से निन्यानवे दफा सुकून देती है, वह प्रेम ही है। पर लोग ईश्वर के अस्तित्व को लेकर न सिर्फ लड़ रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे के अस्तित्व के लिए भी संकट बन गए हैं। इंसान ईश्वर के बिना रह सकता है, प्रेम के बिना नहीं। ईश्वर को मानने वाले हों या कि नकारने वाले सभी को प्रेम चाहिए। (ये मन नम है- पुष्पेन्द्र फाल्गुन)
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