नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

मन-माटी- असग़र वजाहत

 "देखना चाहिए कि भारत पाकिस्तान में रहनेवाले लोग कौन हैं? कौन सी ज़बानें बोलते हैं? उनकी तहज़ीब क्या है? उनकी तारीख़ क्या है? इसमें कोई शक नहीं...ये मैंने अपनी आँखों से पहली बार देखा और महसूस किया है कि इन मुल्कों में रहने वाले दुश्मन नहीं हैं...इनको दुश्मन क्यों बना दिया गया है...मैंने कहीं पढ़ा है कि कायदे आज़म पाकिस्तान में अपनी ज़रूरी जिम्मेदारियां पूरी करके बंबई में जाकर रहना चाहते थे क्योंकि वह शहर उन्हें पसन्द था...गांधीजी पाकिस्तान जाना चाहते थे...क्यों? इन दोनों हज़रात का क्या ख़याल था इन दो मुल्कों के बारे में? अफ़सोस ये है कि दोनों को अपने इन ख़यालात के इज़्हार के लिए वक़्त नहीं मिल सका...लेकिन इतना तय है कि इंसानी रिश्तों, जज़्बों को कुचलकर सरहदें नहीं बनाई जानी चाहिये..." (मन-माटी- असग़र वजाहत)



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