नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 30 मई 2020

पत्थर गली-नासिरा शर्मा

 "मुस्लिम समाज सिर्फ़ 'ग़ज़ल' नहीं है बल्कि एक ऐसा 'मर्सिया' है जो वह अपनी रूढ़िवादिता की क़ब्र के सिरहाने पढ़ता है। पर उसके साज़ और आवाज़ को कितने लोग सुन पाते हैं और उसका सही दर्द समझते हैं? 

ये कहानियाँ उस समाज और परिवेश की हैं जो वास्तव में पत्थर गली है, जिसे तोड़ना आसान नहीं। मगर एक छटपटाहट है निकास-द्वार ढूँढने की और ये कहानियाँ उसी की तस्वीर पेश करती हैं। (पत्थर गली-नासिरा शर्मा)



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