नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 15 अगस्त 2020

सर्वे भवन्तु सुखिनः

क्यों मांगते हो भगवान् से
कुछ भी सिर्फ अपने लिए ही
क्या तुम्हारी ही समस्याएं
दुःख, पीड़ा सबसे अधिक हैं
क्या तुम्हें नहीं लगता कि
भगवान् से मांगा जाये
सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयः
क्यों भूल जाते हो कि
सर्वे में तुम भी आते हो

        (कृष्ण धर शर्मा, 06.10.2019)

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